सरता ज्येष्ठ महिना
नवीन थेंब...
नवीन आंदोलनं..
नवीन झुळुका..
नवीन वारे..
नवीन धुंदी..
नवीन दाद..
नवीन अनुभूती..
...आणि अलौकिक चिदानंद..आत्मानंद...
-- सौरभ जोशी
सरता ज्येष्ठ महिना..
परत वर्षा ऋतु..
परत मृद्गंध..
परत तेच भीमसेनजी..
परत तोच मियाँ मल्हार..
परत तेच करीम नाम तेरो..
तोच आवाज..
तोच गळा..
तेच शब्द..
तेच स्वर,
तोच नाद..
तोच राग..
तेच आरोह..
तेच अवरोह..
तोच दम..
तोच ताल..
तीच सम..
तोच काल..
तीच टाळी..
तेच खंड..
तेच आवर्तन..
पण..पण..पण..
नवीन रंग..
नवीन गंध..
नवीन तेज..
नवीन चैतन्य..
नवीन स्वप्नं..
नवीन श्वास..
नवीन ध्यास..
नवीन पालवी..
नवीन सळसळाट..
नवीन मेघ..
परत वर्षा ऋतु..
परत मृद्गंध..
परत तेच भीमसेनजी..
परत तोच मियाँ मल्हार..
परत तेच करीम नाम तेरो..
तोच आवाज..
तोच गळा..
तेच शब्द..
तेच स्वर,
तोच नाद..
तोच राग..
तेच आरोह..
तेच अवरोह..
तोच दम..
तोच ताल..
तीच सम..
तोच काल..
तीच टाळी..
तेच खंड..
तेच आवर्तन..
पण..पण..पण..
नवीन रंग..
नवीन गंध..
नवीन तेज..
नवीन चैतन्य..
नवीन स्वप्नं..
नवीन श्वास..
नवीन ध्यास..
नवीन पालवी..
नवीन सळसळाट..
नवीन मेघ..
नवीन थेंब...
नवीन आंदोलनं..
नवीन झुळुका..
नवीन वारे..
नवीन धुंदी..
नवीन दाद..
नवीन अनुभूती..
...आणि अलौकिक चिदानंद..आत्मानंद...
-- सौरभ जोशी
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